बेरोजगारी आपकी ज़िंदगी को किस तरह प्रभावित कर रही है?

वर्तमान में देश के 5 बड़े राज्यों में चुनाव है। जिस वजह से राजनैतिक गलियारों में एक अफरा तफरी मची हुई है।
इस अफरा तफरी के बहुत से कारण है। कुछ राजनैतिक दलों  का अपना मसला है। तो कुछ जनता से जुड़े वादे, जिसके वजह से सत्तारूढ़ पार्टी और विपक्ष  एक दूसरे पर आरोप प्रतिरोप करति रहती हैं। इन मुद्दों में कुछ मुद्दे ऐसे है। जिनपर बात तो होती है। पर उन मुद्दों के तह तक जाकर उनका  समाधान करने का प्रयास मात्रा कल्पना के पटल पर ही रह जाता है। 
इन सब मुद्दों के बीच के बहुत ज्यादा प्रभाव डालने वाला मुद्दा है " बेरोजगारी"। 
क्या है यह बेरोजगारी और क्यों है यह समस्या, जिस पर सभी राजनैतिक दल अपनी रोटियां सेकते है। और इसका शिकार होता  है देश और देश का वह वर्ग जिनको देश का रीढ़ का हड्डी माना जाता है।
वर्तमान में भारत की जनसंख्या लगभग 130 करोड़ है। और इसमें सबसे ज्यादा लगभग 80 करोड़ लोग 15 से 60 साल उम्र के बीच के लोग हैं। इस हिसाब से भारत जनसंख्या लाभांश देश है। क्योंकि यहाँ कार्य करने वालो की संख्या अधिक है।
अब बात आती है, क्यों है बेरोजगारी? क्या इसका एकमात्र वजह सरकार है? या कुछ और भी पहलु है।
बीते कुछ दिनों में रेलवे को लेकर होने वाले हंगामे से यह बात साफ हो चुका है। अब समस्या हद पार कर चुकी है। पर इन सब बातों को जानने से पहले हमे जानना जरूरी है कि, क्या है बेरोजगारी?
देश में कुल  जनसंख्या में जिनकी उम्र 15 से 60 है उनको देश का श्रम शक्ति कहा जाता है। जो लोग रोजगार में है उनको कार्य शक्ति कहा जाता है।
इस श्रम शक्ति और कार्य शक्ति के अंतर को बेरोजगारी कहा जाता है । 
पर यह इतने पर ही सीमित नही है। एक होती है ऐच्छिक बेरोजगारी , इसका मतलब है कार्य करने की इच्छा न होना। इनको बेरोजगारी में नही जोड़ा जाता। पर एक होता है गैरऐच्छिक बेरोजगारी  जिसमें कार्य करने की इच्छा तो होती है पर रोजगार नही होता। इसको ही प्रमुख तौर पर बेरोजगारी माना जाता है।
देश में बेरोजगारी संबंधित आँकड़ो का संग्रह NSO नाम की संस्था करती है। और इस रिपोर्ट का प्रकाशन नीति आयोग करता है। 
बेरोजगारी का मुख्य कारण अवसर की कमी,  आधुनिक तकनीक का आना, सरकारी नीतियां और पिछले 2 सालों में कोरोना जैसी महामारी का आना है।
भास्कर एनालिसिस के अनुसार भारत में वर्तमान में 3.03 करोड युवा बेरोजगार है। जिसमें से 95% 29 साल से कम उम्र के है और हैरान करने वाली बात यह है कि 5 पास, 8 पास और 10 पास से ज्यादा बेरोजगार 1.18 करोड ग्रेजुएट बेरोजगार है।
आलम यहाँ तक है कि 1.24 करोड़ सक्रियता से रोजगार भी नही ढूंढ रहे । बस  इस उम्मीद में की जल्द के कोई सरकारी भर्ती आए और उनका चयन हो। पर सरकारी भर्ती साहब ओ ठहरी बीरबल की खिचड़ी जो पक ही नही रही और खाने वालों की संख्या दिन प्रतिदिन बढ़ती जा रही। आज भी समाज में एक अवधारणा है कि आप सरकारी मुलाजिम है तो आप की इज़्ज़त है।अन्यथा कुछ यही और यही धारणा युवा वर्ग के प्राइवेट सेक्टर से दूर कर रही जो कि बेरोजगारी का एक बड़ा कारण है।
आज भी हमारी शिक्षा व्यवस्था इतनी आधुनिक नही है कि कोई युवा ग्रेजुएट होकर रोजगार पा जाएगा।  सरकार को इस तरफ ध्यान देना चाहिए। 
CMIE रिपोर्ट के अनुसार जनवरी 2022 में बेरोजगारी दर 6.57% थी। अगर हम रिपोर्ट की माने तो वर्तमान में सबसे कम बेरोजगारी तेलंगाना राज्य में है। जबकि सबसे अधिक हरियाणा और राजस्थान में है। 
रिपोर्ट के अनुसार जनवरी तक ग्रामीण बेरोजगारी 5.84% है जबकि शहरी बेरोजगारी दर पहले से 9% से घट कर 8.16%  हो गयी है जो एक अच्छा संकेत है।
बेरोजगारी को खत्म करने के लिए सरकार द्वारा कुछ प्रभावी कदम भी उठाया जा रहा । जैसे नए रोजगार के Startup और Standup इंडिया योजना आया है। पर आज जो हालात है। उनका समाधान कुछ बड़े बदलाव लाकर करना पड़ेगा। जैसे सरकारी रोजगार को समय पर देना, प्राइवेट सेक्टर में नए रोजगार देना इत्यादि और यह तभी सम्भव है जब विदेशी निवेश भारत आए। सरकार को इसपर बहुत प्रभावित तरह से काम करना चाहिए।
युवा शक्ति ही भारत की विकाशील से विकसित बना सकती है और यह तभी सम्भव है जब उनकी ऊर्जा का उपयोग रोजगार को लेकर हो, नए निर्माण को लेकर हो अन्यथा इसका दुष्प्रभाव बहुत ही ज्यादा होता है और समाज पर गलत प्रभाव पड़ता है।

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