शीर्षक- नृत्य एक सशक्त अभिव्यक्ति है ...नृत्य एक सशक्त अभिव्यक्ति है ,संगीत मय,भावों की रचनात्मक प्रस्तुति है।छनन,झनन घुंघरु हैं बोले,मधुर,मधुर स्वर लहरी गूॅंंजे ।सजे माॅंग टीका, कर्णफूल,गले में माला, हाथ में कंगन , वेणी में गजरा डाला।सुंदर मुख पर चाॅंदनी चमके,बादल बीच जैसे बिजुरी दमके। नृत्य में नवरस करें भाव विभोर,ठुमक - ठुमक नाचें बन मोर ।तन-मन का होता है संतुलन,नृत्य इंद्रधनुषी रंगों का संगम ।नृत्य रसमय प्रेम प्रभात सा,अति मनोहर नृत्य,राधा कान्हा का ।नृत्य में समस्त मुद्रा समाहित,सकारात्मकता को करें स्थापित।चहुॅंओर छा जाता प्रभास,हृदय में सबके आ जाता उल्लास।हो जाता वातावरण प्रफुल्लित,तन मन को करता है सुरभित।नीता माथुर , लखनऊ, (उत्तर प्रदेश )स्वरचित/मौलिक
अन्तर्राष्टीय श्रमिक दिवस पर.श्रमिक का दर्दगरीबी ने मुझको चुना है,तानों को मैंने सुना है,कहीं नहीं मैंने शिक्षा पाई ,कठिनाईयाँ जीवन में बहुत हैं आई,रोटी पाने को नहीं है काम,भटक- भटक कर हो जाती शाम।बोझा ढोया , मजदूरी की,एक जून की रोटी खाई,बासी रोटी भी पकवान सी लगती,बासी भोजन भी दावत हो आई ।कठिन राहें,सिर पर पक्की छत नहीं,छप्पर के नीचे है घर वहीं , हवा तीर सी चलती है , काया भी ठिठुरती है ।फटी पुरानी एक है गुदड़ी,सिलाई भी जिसकी है उधड़ी,जूते का भी नहीं तला, दे दे कोई शायद भला । फीके हैं सब जीवन के रंग,कभी तो दूर होगा मेरा भी ग़म,जो कर जाए गरीबी को कम,शायद कोई फरिश्ता आ जाए,काम मुझे भी कुछ मिल जाए,कुछ राहत जीवन में आए ,किस्मत मेरी भी खुल जाए ।नीता माथुर, लखनऊ,स्वरचित/मौलिक
रिश्तों में गहराई रखिए,होगा अनुपम मेल,नहीं तो सम्भव है यहां ,बिगड़े जीवन का खेल।।आपस में रखिए सदा ,प्रेम भरा सम्बंध,हर दिन जीवन का यहां होगा रोज बसंत।।मातु पिता की वंदना करिए शीश झुकाय,उनके रूप में स्वयं ही ईश्वर खुद मिल जाय।।चलती है यह ज़िंदगी, कर्म भरोसे रोज,कर्म नहीं यदि हो सका,सबसे बड़ा यह दोष।।दिल में भी रखिए सदा,नेक भरा व्यवहार,जैसे पत्थर घिसने से मूर्ति हो तैयार।।
... आजकल के लड़के नौकरी लगने के तुरंत बाद शादी करके पत्नी को नौकरी वाले शहर में ले जाते हैं , तथा सारा पढ़ाई का कर्ज , खेती का काम घर की जिम्मेदारियाँ , सब झंझट माता-पिता के पास छोड़ जाते हैं. वो सबसे पहले शहर में प्लाट या फ्लैट लेने की सोचते हैं, तथा माता-पिता की ओर कम ध्यान देते हैं जो बहुत दुखदाई है. फेसबुक पर माता-पिता को भगवान से ज्यादा वो ही लोग लिखते हैं जिनके माता-पिता दयनीय स्थिति में होने के बाद भी उनसे आशा नहीं करते. कभी वो लोग गाँव आते हैं तो अपनी जेब से पैसा न देकर माता-पिता से खेती , गाय, भैंस घर का किराया, पिता की पेंशन आदि की कमाई का हिसाब अपनी पत्नी के सामने लेते हैं , तथा उन्हें बहुत सुनाते हैं. पत्नी भी उनमें कमी निकालकर अपना धर्म पूरा करती है. यह माजरा करीब 90% लोगों का है , जो शहर मे लोगों को जन्मदिन की पार्टी देकर अपनी झूठी शान का बखान करते हैं. वो अपने पत्नी बच्चों के अलावा किसी पर एक पैसा खर्च नहीं करते. क्या इस हालत को समाज सुधार की ओर अग्रसर माना जा सकता है ? गाँव के अधिकांश लोग इसी तरह दुःखी हैं , क्योंकि उनको बच्चे की नौकरी के कारण वृद्ध पैंशन भी नहीं मिलती. माँ-बाप कितने सपने संजोकर उन्हें अपना पेट काटकर पढाते हैं. फिर नौकरी या तो लगती नहीं या लगने के बाद बेगाने होना दुःखद है. आजकल लड़को की नौकरी लगे या ना लगे , घर का काम तो मरते दम तक बूढों को ही करना पड़ता है. बच्चों को पढ़ाने का माँ-बाप को यही पुरस्कार है जी. जो लोग सोशल मीडिया पर बड़ी बड़ी बातें करते हैं तथा लोगों का आदर्श बने हुए हैं तथा बड़े पदों पर आसीन हैं , उनमें से अनेक अपने रिश्तेदारों , माता-पिता के प्रति निष्ठुर भाव रखते हैं.
सदाबहार दोहे------1-षड्यंत्र कि बात नही कहते सब सत्य निर्भय प्रजा जन सत्यार्थ लोक तंत्र।।2-टांग खींचना परस्पर जन हित कि रार साथ खड़े मंच पर स्वांग प्रपंच कि बात।।3-रैली रेला हुंकार बढ़ा चुनावी तापविजय मान मैदान में जैसे हो निःष्पाप।।4-जीवन जेल यात्रा अंतर ट्रॉयलअरु वेल जीवन बहुत झमेला भोगअरुकलेश।।5-कटता नही टिकट शांत चित्त न विवेकदल दल बुल बुला जैसे शस्त्र अनेक।।6-हरियाली झूमती बाली शगुन सुगंध विशेष अविनि काया माया प्राणि जीवन खुशी अनेक।।7-लोलुपता निर्लज्जता सत्य सार्थक धारघर जेल घालमेल सत्ता शासन हथियार।।8-लोलुपता निर्लज्जता सत्य सार्थक धारघर जेल घालमेल सत्ता शासन हथियार।।9-बिंदिया चूड़ि कंगना एक दूजे का साथपतित पावनी पतन चलन चरित्र संघार।।10-कीच पुष्प में अंतर नही पैरों रौंदे जातइत्र सुगंध दुर्गंध रंग बदरंग सब साथ।।11-देन लेन अपना नही देश राष्ट्र का दांववाह वाह कि चाह दिया सब गंवाया।।12-यश मिला नही नित जो था रहे गंवाएपश्चातप नही लूट रहा सब हो रहे कंगाल ।।13-करनी भरनी सत्य नही भाग्य का खेल भाग्य भगवान सच करनी धरनी मेल।।14-आज अतीत भविष्य जैसे रेल करनी भरनी भाग्य सटीक बेमेल।। 15-कृपा दया नही चाहिए उचित सत्कारज्ञान योग बैराग्य तपस्या ही मान।।16-धन बैभव लक्ष्मी माया सब अंधकार सूरज सूर्य भी माया काया उजियार।।17-सूर्योदय संध्या दिवस पल प्रहर प्रवाह नित निरंतर जग खेल है बेसुरा बेराग।।18-पर्व लोकतंत्र द्वेष द्वंद का भाव जनता जानती नेताओ का हाल।।19-देश प्रेम स्वांग है जन जानत सच पर्व लोकतंत्र का हो रहा बेअर्थ।।20-बृद्ध युवा असहाय जन जागरण राष्ट्र भाई बंद करो चोचले सत्य सार्थकबात ।।21-मत सम्मत से ही राष्ट्र समाज विकासजनता जनार्दन ही लोक तंत्र की आस।।22-मोल मत है सहभाग के बोल सरकार आधार सुदृढ़ अनमोल।।23-निर्भय परख विचार इर्ष्या संसय त्याग निरपेक्ष सार्थकता जिम्मेदार समाज।।24-अर्थहीन अधिकार न हो कोई भी हो मत महत्वपूर्ण ऊपयोगी रहीम रमेश।।25-मतपत्र मत पेटिका बदल गया रूपतकनीकी युग मे लापरवाही नही कबूल ।।26-मत सम्मत से ही राष्ट्र समाज विकासजनता जनार्दन को लोक तंत्र की आस।।27-राष्ट्र समर्पित नेतृत्व बहुमत ताकत सारःलोकतंत्र शक्ति जन कल्याण प्रभाव।।28-चिंतन सापेक्ष निष्ठा कार्य परिणाम जाती धर्म नही उचित निष्पक्ष व्यवहार।।29-पृथ्वी आकाश में ध्रुव तारे अनेकअंत भय भ्रम का ज्ञान ऊर्जा प्रकाश।।30-ना कोई राज रंक सत महिमा उजियारजीवन सदा उत्साह जन्म जीवन आधार।।31-सच्चा पवन ज्ञान जीवन बोध मार्गभक्ति का मधुपान सत ईश्वर गुणगान।।32-छल छद्म प्रपंच रूढ़िवादी का दंशप्राणि में भेद भाव समय समाज बेरंग।।33-गुरु शिष्य परंपरा मार्ग ज्ञान बैराग्यतमस का उजियार सतत शिष्य अनुराग।।34-देश विदेश में स्वीकार सच है भगवानकाल पल प्रहर बढ़ता ईश्वर सत्य सारः।।35-अनुनय अनुयायी ईश्वर का भान जान लिया जिसने युग कि पहचान।।36-सतगुरु कि कृपा ईश्वर स्वर वरदानकर्म धर्म सच है कर्म करो निष्काम।।37-पाखंड प्रपंच का आडंबर ना हो साथआत्म साथ उपदेश वेद उपनिषद पुराण।।38-समानता युग सिद्धांत है द्वेष विद्वेष रारशत्र शास्त्र ज्ञान है धर्म धैर्य मर्म समान।।39-प्राणि पराधीन नही आत्म बोध है एकधर्म कहती नही मानव जाति अनेक।।40-पाप पान है मदिरा भय व्याधि मद्यपानमदिरा पान जो करे डूबत मरत गजग्राह।।41-उत्साह अंतर्मन का बैराग्य ज्ञानप्रकाश ईश्वर सत्य जीवन मोल अनमोल भाव।।42-जीवन मे शुभ संयम अरु संकल्पभक्ति भाव का सच दूषित दूषण व्यर्थ।।43-अद्भुत अनमोल है जीवन का हर पल संवेदना साक्ष है आने वाला पल पल।।44-त्याग तप व्रत जीवन का अनुरागविधि विधान का सच प्राणि प्राण समान।।45-प्रेरणा एक ज्योति है जन जन कासाथदीपक एक प्रेम का प्रशस्त मार्ग है आप।।46-टिकट मिला नही संसय बरकरारवैद्य नुख्से स्वर्ग नरक का अस्पताल।। 47-जन्म राम का मर्यादा मूल्य संदेशलाज आए नही नेता लूट रहे देश।।48-अपील दलील नही खारिज सब तर्कआखिर काल समय क्षमा याचना व्यर्थ।।49-संकुचित सोच राह दम घुटता मरताकथित व्यथित आचार फल कर्म भरता।।50-अल्प काल शिखर भाग्य कर्म सौभाग्यनिर्भय निश्चय जानिए चरित्र संस्कृति मार्ग।।51-ईटा पत्थर सब जोर शोर कि बातलाठी डंडा आम खून खराबा का राज।।52-संवेदना क्या बात मछली मटन प्रदर्शनमानव तन मन वेष हत्या नरभक्षी दर्शन।।53-मौसम नेता गिरगिट सम भाव के चालनैतिकता नही पल पल रंग बदलते भांड।।54-जनता फंस जाएगी वादे होंगे खाकलोकतंत्र का पर्व अपना अपना दांव55-घर जेल में फर्क नही लोपतंत्र पड़ावपर्व प्रसन्न्ता बस सत्य सनातन प्रेम56-वर्षो का विवाद विजय राम का मर्मसूर्य वंश हंस सूर्य तिलक का मान57-धन्य सकेतपुरी जय जय जय श्री रामप्रथम चरण शुभ अंत चरण मोक्ष्य58-मत जनमत जन्म जीवन सोचप्रभु को क्या जाने निसिचर उत्कोच 69-कल्पना सोच गरीब निवारण मंत्रयथार्थ सत्य शून्य नियत निति कुसंग60-भोजन भाषण विवाद बात कुतर्क चीनी कि मिठास घातक मर्ज मवाद61-जन मत में हिस्सा मत प्रतिशत हदबात हैरानी नही विजय मार्ग ही मद62-घोषणा कोरी लगे संकल्प लागत मीठअविश्वास विश्वास में सूक्ष्म रेखा है मीत63-संपत्ति वितरण विवरण दिवालिया सोच गोल माल सब जनता का धन नोच64-मत व्यर्थ नही दान सोच विचारगलती से ना मिले दुर्दशा कि आंच।।65-दान का मोल नही योग्य को दान मत हर मूल्यवान जाना मत भूल।।66-अपने और पराए भेद भाव का अंतनिर्मल निश्चल मन मतदान विवेक67-हार जीत से परे मत न्याय निःस्वार्थ लोकतंत्र का पर्व है परम प्रशन्नता मर्म।।68-महायज्ञ कि आहुति अनुष्ठान मानमतदान निष्पक्ष सम्पूर्ण प्रमाण।।69-सुनना है सबकी चुनना है मन कीप्रतिनिधि ऐसा बात सुने जन जन की।। 70-कर्म धर्म मे निपुण निश्छल निर्विकारजन सेवा सत्कार ही उत्तम हो विचार।।71-अस्त्र शस्त्र का अंत मत शक्ति पर्याप्त जय पराजय का मत समर्थ ही सारः।।72-परख ध्यान से तब मत दानमत व्यर्थ नही महादान कल्याण।।73-चयन सही हो लालच भय स्वार्थ मुक्त निर्भय निर्विकार मत सुयोग्य के युक्त।।74-मूल्यवान मत है पात्र को ही दानकुपात्र को मत शक्ति मत परिहास।।75-व्यस्तता बहुत मतदान प्रथम कार्य धर्म कार्य यह दान स्वंय पर उपकार।।76-भूल चुक माफ नही अनुष्ठान मतदान शक्ति जन मत हद हस्ती अभिमान।।77-अच्छा नेता चुनना कठिन बहुत कार्य संयम धैर्य आंकलन है सत्य विचार।।78-झूठ फरेब से बचो मत पावन दानचुनना है वर्तमान भविष्य परिणाम।।79-लड़ना बंद करो सिर्फ करो विचार चुने सब मजबूत स्वच्छ सरकार।।80-टिकट मिला नही संसय बरकरारवैद्य नुख्से स्वर्ग नरक का अस्पताल।।81-जन्म राम का मर्यादा मूल्य संदेशलाज आए नही नेता लूट रहे देश।।82-अपील दलील नही खारिज सब तर्कआखिर काल समय क्षमा याचना व्यर्थ।।83-संकुचित सोच राह दम घुटता मरताकथित व्यथित आचार फल कर्म भरता।।84-अल्प काल शिखर भाग्य कर्म सौभाग्यनिर्भय निश्चय जानिए चरित्र संस्कृति मार्ग।।85-ईटा पत्थर सब जोर शोर कि बातलाठी डंडा आम खून खराबा का राज।।86-संवेदना क्या बात मछली मटन प्रदर्शनमानव तन मन वेष हत्या नरभक्षी दर्शन।।87-मौसम नेता गिरगिट सम भाव के चालनैतिकता नही पल पल रंग बदलते भांड।।88-जनता फंस जाएगी वादे होंगे खाकलोकतंत्र का पर्व अपना अपना दांव।।89-घर जेल में फर्क नही लोपतंत्र पड़ावपर्व प्रसन्न्ता बस सत्य सनातन प्रेम।।90-वर्षो का विवाद विजय राम का मर्मसूर्य वंश हंस सूर्य तिलक का मान।।91-धन्य सकेतपुरी जय जय जय श्री रामप्रथम चरण शुभ अंत चरण मोक्ष्य।।92-मत जनमत जन्म जीवन सोचप्रभु को क्या जाने निसिचर उत्कोच।। 93-कल्पना सोच गरीब निवारण मंत्रयथार्थ सत्य शून्य नियत निति कुसंग।।94-भोजन भाषण विवाद बात कुतर्क चीनी कि मिठास घातक मर्ज मवाद।।95-जन मत में हिस्सा मत प्रतिशत हदबात हैरानी नही विजय मार्ग ही मद।।96-घोषणा कोरी लगे संकल्प लागत मीठअविश्वास विश्वास में सूक्ष्म रेखा है मीत।।97-संपत्ति वितरण विवरण दिवालिया सोच गोल माल सब जनता का धन नोच।।98-पृथ्वी आकाश में ध्रुव तारे अनेकअंत भय भ्रम का ज्ञान ऊर्जा प्रकाश।।99-ना कोई राज रंक सत महिमा उजियारजीवन सदा उत्साह जन्म जीवन आधार।।100-सच्चा पवन ज्ञान जीवन बोध मार्गभक्ति का मधुपान सत ईश्वर गुणगान।।101-छल छद्म प्रपंच रूढ़िवादी का दंशप्राणि में भेद भाव समय समाज बेरंग।।102-गुरु शिष्य परंपरा मार्ग ज्ञान बैराग्यतमस का उजियार सतत शिष्य अनुराग।।103-देश विदेश में स्वीकार सच है भगवानकाल पल प्रहर बढ़ता ईश्वर सत्य सारः।। 104-अनुनय अनुयायी ईश्वर का भान जान लिया जिसने युग कि पहचान।।105-सतगुरु कि कृपा ईश्वर स्वर वरदानकर्म धर्म सच है कर्म करो निष्काम।।106-पाखंड प्रपंच का आडंबर ना हो साथआत्म साथ उपदेश वेद उपनिषद पुराण।।107-समानता युग सिद्धांत है द्वेष विद्वेष रारशत्र शास्त्र ज्ञान है धर्म धैर्य मर्म समान।।108-प्राणि पराधीन नही आत्म बोध है एकधर्म कहती नही मानव जाति अनेक।।109-पाप पान है मदिरा भय व्याधि मद्यपानमदिरा पान जो करे डूबत मरत गजग्राह।।110-उत्साह अंतर्मन का बैराग्य ज्ञानप्रकाश ईश्वर सत्य जीवन मोल अनमोल भाव।।111-जीवन मे शुभ संयम अरु संकल्पभक्ति भाव का सच दूषित दूषण व्यर्थ।।112-अद्भुत अनमोल है जीवन का हर पल संवेदना साक्ष है आने वाला पल पल।।113-त्याग तप व्रत जीवन का अनुरागविधि विधान का सच प्राणि प्राण समान।।114-प्रेरणा एक ज्योति है जन जन कासाथदीपक एक प्रेम का प्रशस्त मार्ग है आप।।115-पर्व लोकतंत्र द्वेष द्वंद का भाव जनता जानती नेताओ का हाल।।116-देश प्रेम स्वांग है जन जानत सच पर्व लोकतंत्र का हो रहा बेअर्थ।।117-बृद्ध युवा असहाय जन जागरण राष्ट्र भाई बंद करो चोचले सत्य सार्थकबात ।।118-मत सम्मत से ही राष्ट्र समाज विकासजनता जनार्दन ही लोक तंत्र की आस।।119-मोल मत है सहभाग के बोल सरकार आधार सुदृढ़ अनमोल।।120-निर्भय परख विचार इर्ष्या संसय त्याग निरपेक्ष सार्थकता जिम्मेदार समाज।।121-अर्थहीन अधिकार न हो कोई भी हो मत महत्वपूर्ण ऊपयोगी रहीम रमेश।।122-मतपत्र मत पेटिका बदल गया रूपतकनीकी युग मे लापरवाही नही कबूल ।।123-मत सम्मत से ही राष्ट्र समाज विकासजनता जनार्दन को लोक तंत्र की आस।।124-राष्ट्र समर्पित नेतृत्व बहुमत ताकत सारःलोकतंत्र शक्ति जन कल्याण प्रभाव।।125-चिंतन सापेक्ष निष्ठा कार्य परिणाम जाती धर्म नही उचित निष्पक्ष व्यवहार।।126-देन लेन अपना नही देश राष्ट्र का दांववाह वाह कि चाह दिया सब गंवाया।।127-यश मिला नही नित जो था रहे गंवाएपश्चातप नही लूट रहा सब हो रहे कंगाल ।।128-करनी भरनी सत्य नही भाग्य का खेल भाग्य भगवान सच करनी धरनी मेल।।129-आज अतीत भविष्य जैसे रेल करनी भरनी भाग्य सटीक बेमेल।। 130-कृपा दया नही चाहिए उचित सत्कारज्ञान योग बैराग्य तपस्या ही मान।।131-धन बैभव लक्ष्मी माया सब अंधकार सूरज सूर्य भी माया काया उजियार।।132-सूर्योदय संध्या दिवस पल प्रहर प्रवाह नित निरंतर जग खेल है बेसुरा बेराग।।133-षड्यंत्र कि बात नही कहते सब सत्य निर्भय प्रजा जन सत्यार्थ लोक तंत्र।।134-टांग खींचना परस्पर जन हित कि रार साथ खड़े मंच पर स्वांग प्रपंच कि बात।।135-रैली रेला हुंकार बढ़ा चुनावी तापविजय मान मैदान में जैसे हो निःष्पाप।।136-जीवन जेल यात्रा अंतर ट्रॉयलअरु वेल जीवन बहुत झमेला भोगअरुकलेश।।137-कटता नही टिकट शांत चित्त न विवेकदल दल बुल बुला जैसे शस्त्र अनेक।।138-हरियाली झूमती बाली शगुन सुगंध विशेष अविनि काया माया प्राणि जीवन खुशी अनेक।।139-लोलुपता निर्लज्जता सत्य सार्थक धारघर जेल घालमेल सत्ता शासन हथियार।।140-लोलुपता निर्लज्जता सत्य सार्थक धारघर जेल घालमेल सत्ता शासन हथियार।।141-बिंदिया चूड़ि कंगना एक दूजे का साथपतित पावनी पतन चलन चरित्र संघार।।142-कीच पुष्प में अंतर नही पैरों रौंदे जातइत्र सुगंध दुर्गंध रंग बदरंग सब साथ।।नन्दलाल मणि त्रिपाठी पीताम्बर गोरखपुर उत्तर प्रदेश।।
फुरसत नहीं थी इतनी कि हम याद उनको करते,शायद वो मेरे ख़्वाब में रहने लगे हमेशा।।यादों का साथ ऐसा जो रहता रहा हमेशा,जब ढूंढने हम निकले तब रह गए अकेला।।जीवन का क्या है यारों कटना भी था इसको,जब हमसफ़र ही कोई जीवन में मिल सका ना हमको।।दीपक जला के रखा हर रस्ते गली में हमने,जब वो आएं मिलने हमसे तब कहीं ना हो अंधेरा।।उनसे मिलने की जुस्तजू थी,गुप्तगु की ही कमी थी,ना वो आए हमसे मिलने,ना हम ही मिलने पाए।।तोड़ा है दिल उसी ने ,जिसको हमने सनम बनाया,अब वो बन गए खुदा भी और हम हो गए पराए।।
हनुमान जन्मोत्सव हनुमान जन्मोत्सव की शुभ घड़ी है आई,हर्षोल्लास छाया चहुंओर, आज सबको हो बधाई।पिता केसरी,अंजना थीं माता,ध्यान करने से इनका भक्त, भयमुक्त हो जाता ।मर्यादा पुरुषोत्तम श्रीराम के परम भक्त हनुमान,सद्गुणों के भंडार, सेवक ,सखा ,सचिव श्री राम।सुग्रीव, श्रीराम के मैत्री रचनाकार ,थे द्वेष रहित, निःस्वार्थ, व हितैषी, सलाहकार।श्री राम संग स्मरण करते सब, जन देवता कहलाए,सबके कष्टों को हरते ,श्रीराम हृदय बस जाएं।भगवान शिव के थे अवतार,तुरंत कष्टों का हरण करें,इनकी स्तुति से भक्त , भय मुक्त हो जाए ।नीता माथुर, लखनऊ स्वरचित/मौलिक
विषय :- किताबें जीवन का पथ रौशन करती,गुरू समान मार्ग दर्शक बनती ।किताबों व लेखक का रिश्ता सहजीवी,लेखक के विचारों को बनाती चिरंजीवी।शब्द -शब्द मोती की लड़ियाॅं ,मनोभावों की जुड़ी हैं कड़ियाॅं ।ज्ञान ,विचार , दृष्टिकोण का अद्भुत हैं रूप,मन पर छाप छोड़ती उनके अनुरूप।ज्ञान, विज्ञान, ब्रह्मांड का रहस्य खोलती ,धरती आकाश, समुंदर की गहराइयों को तोलती।सोहनी -महिवाल,शीरीं -फरहाद इनमें हैं बसते,चाॅंदनी रातों के सपने हैं सजते ।ममता की स्वर लहरी में बहती ,कुछ प्रभु वंदन के शब्दों को कहती।सदाचार, मीठी वाणी सिखातीं,नफरत हटा ,दिलों में प्रेम जगाती। गीता ,रामायण, कुरान ,किताबें हैं पवित्र,बाइबिल, गुरु ग्रन्थ साहिब,शब्द वाणीं महकती जैसी इत्र।जीवन में संजीवनी होती हैं किताबें ,जनमानस को सही राह दिखाती हैं किताबें ।नीता माथुर, लखनऊ ( उत्तर प्रदेश)स्वरचित/मौलिक
कभी तुम ख़्वाब बन करके मेरी आंखों बस जाना,तुम्हारे नाम से ही अब ,दुनियां मुझे दीवाना समझेगी।करेंगे हम तुम्हीं से प्यार,अपने आखिरी दम तक,तुम मिलने आ भी जाना गर तुम्हें से जमाने का डर ना हो।।जमाने ने सिखाया है किसी का एतबार मत करना,करो खुद पे भरोसा तुम,जमाने ने सिखाया है।।करो इतना जतन तुम भी, जमाने में नाम हो जाए,हमारे नाम से पहले जमाने में तुम्हारा नाम हो जाए।।
वक्त की मार होती यहां साथियों, जिसने झेला वो देखो सम्भल ही गया,जिसने आंखों से ओझल किया वक्त को,मार पड़ने पर शायद वो बिखर भी गया।हम प्रतिछा ही करते रहे उम्र भर,वक्त खुद ही मुझसे आगे निकल भी गया।कोई देखे उठा कर के नजरों को यूं,वक्त की मार से हमारा सब लूट गया।।करते रहते हैं कोशिश वक्त से लड़ने की,वक्त हर हाल में हमसे जीतता गया।।
इश्क हम दोनों का मुकम्मल कर देउसे थोडा , मुझे पुरा पागल कर दे ॥दिल है कि मानता नहीं बात अक्ल कीज़रा सी आहट पे मन मे हलचल कर दे॥दिल की आरज़ू हैं उनसे गुफ़्तगू करने कीनिगाहों के इशारों से उनको घायल कर दे ॥चॉंद है चॉंदनी भी और साथ है रात कीबस मेरी साँसों को जरा संदल कर दे ॥“सुर” लिखतें है शायर बातें अजब इश्क़ कीबस तिरे तसव्वुर को तेरी ग़ज़ल कर दे ॥
सुप्रभात 🌞 सुंदर संदेश सुंदर भारत🙏🙏🌳🌳🌳🌳🌳🌳🌳🌳हमारे सभी सपने पूरे हों या न हो , पर हमें हरित भारत बनाना है । स्वयं एक पेड़ लगाकर ,हरियाली से सजाना है ।🌳🌳🌳🌳🌳🌳🌳वायु प्रदूषण को कम करना है,जल को भी बचाना है ,प्रचुर मात्रा में अन्न उगे,हरित क्रांति को लाना है ।सौर ऊर्जा का करना उपयोग ,विद्युत को बचाना है ,आपस में सहयोग करके ,सुंदर भारत बनाना है ।🌳🌳🌳🌳🌳🌳🌳🌳नीता माथुर स्वरचित/ मौलिक 🙏🙏
कामाख्या की तेरी जोत निरालीभक्तों के सारे दुःख हरने वाली है सुख समृद्धि से संपन्न कर देती हैमैया तेरी हर बात निराली तू जगदंबा तू है कालीकाट दिया अपना सरभक्तों की भूख मिटाईछिन्नमस्ता तब तु कहलाईंमैया तेरी हर बात निराली तू जगदंबा तू है काली
तू अंबा है जगदंबा हैकामाख्या तु परम सुंदरी बाला है प्रकृति है तू ही चामुंडा हैआदि शक्ति तु गोरा है तु काली है महाकाली हैदुष्टों संहार करने वाली है तु कल्याणकारिणी है तु मोक्षदायिनी तु शैलपुत्री है ,तु ही कालरात्रि है तु शक्ति ही है तु ही ज्वाला हैपाप सभी के मिट जाते हैं तेरी शरण में जो आ जाते हैं बिगड़ी सबकी बनती है तू मां काली है तू मां काली हैकामाख्या में पूजी जाती ज्वाला तेरी बड़ी निरालीभक्तों की भी मन्नत पूरी हो जाती बिगड़ी सबकी तू बनती हैतू मां काली है तू मां काली है
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