सावन

कुछ खेतों में गिरी
तो मिट्टी महक उठी
पेड़ों पे कोयल पपीहा
की उम्मीदें जाग उठी।
तन पे गिरी 
राहत दे गईं
हथेली पे गिरी
चाहत दे गईं।
पेड़ों पे गिरी
झूले पड़ गए
दिलों में प्यार के
सैलाब उमड़ गए।
बारिश की बूंदों 
सबको लुभाती हो
किसी का दिल धड़काती हो
तो किसी को चाय पे बुलाती हो।

बबिता प्रजापति"वाणी"

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