करवाचौथ

    😄करवाचौथ की कुंडलियाँ😃
             (हास्य-व्यंग्य)

परमेश्वर पति  मानकर,  दीर्घ उम्र ले आस।
वनिता  करवाचौथ का, रखती है उपवास।
रखती  है  उपवास,  कामना  ऐसी  करती।
जब तक सूरज चाँद,रहे जब तक ये धरती।
मेरे  प्राणाधार,      संग  दें  बनकर  रहबर।
सुखी रहें प्राणेश, प्राणप्रिय पति परमेश्वर।।

रखकर करवाचौथ व्रत,प्रिया करे उपकार।
वरना  तो  पतिदेव  का,  होता  बंटाधार।।
होता  बंटाधार,   उम्र  कम हो  ही  जाती।
जोरू का आभार, भूख जो वह सह पाती।
वापस लाए प्राण, सती  सावित्री  बनकर।
करती रहे  बचाव, सहचरी ये व्रत रखकर।

सेवा पति की छोड़कर,करती पूजा-पाठ।
हुक्म  चलाए  बैठकर, ऐसे  उसके ठाठ।
ऐसे  उसके  ठाठ, हृदय  की  है  शंकालू।
मुँह  में जिसके  ऐब, संगनी है  झगड़ालू।
डर है उसको एक, नहीं  हो  जाऊँ  बेवा।
रहती  करवाचौथ, कभी भी करे न सेवा।

चाहत जीनें की नहीं, मरना हुआ मुहाल।
रखती करवाचौथ व्रत,पत्नी जू हर साल।
पत्नी जू हर साल,दिखावा करती दम से।
रुपया पाँच हजार, खर्च करवाती हम से।
करती है अहसान, अर्थ से करती आहत।
जीवित रहे सुहाग, दिखाती ऐसी  चाहत।

                       अमर सिंह राय
                     नौगाँव, मध्य प्रदेश

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