एक वारि एक ट्रेन में

वो मस्ती का दिन यारो था 
हम सबको जाना बोकारो था 
स्कूल से जाना था कि ट्रिप में
दस-पंद्रह बच्चे थे इसमें 
बैठे बैठे कट रहा था सफर
पर दिल उदास था हर एक पहर
धीरे-धीरे यू शाम हुई 
बोगी भी खाली होने लगी 
तभी कुड़िया चढ़ी एक स्टेशन पर
फिर घंटी बजी सबके दिल पर
वे बगल के चेंबर में शिफ्ट हुईं 
कुदरत की तरफ से गिफ्ट हुईं 
सब देखे उनको नजरे चुरा
सब चाहे ले उन्हें अपना बना
एक लड़की सबसे क्यूटी थी 
दुनिया की भरी सारी ब्यूटी थी 
देखे उसको सब लगातार 
चाहे करना सब आंखें चार 
मेरी बर्थ जहां दिखती वो वहां से 
सब आते उसको देखने यहां से
धीरे-धीरे फिर हो ग‌ई रात 
पर बन ना पा‌ई कुछ भी बात
सब सो गए मैं उसे देखता रहा 
अपने दिल का राग भी छेड़ता रहा
वो लड़की भी मेरी तरफ देखती 
हंसती फिर नजर झुका लेती 
धीरे-धीरे फिर बात बढ़ी
वो भी नींद से सो ना सकी
जो सुबह हुई सब दोस्त उठे 
उसे देखने आने जाने लगे 
सब चाहते उससे बात करें 
बस एक मौके की तलाश करें 
जैसे जैसे वक्त गुजरती रही 
मेरी तीर नजर की चलती रही
आखिर मेरे तीर से घायल हुई 
मेरी मोहब्बत की कायल हु‌ई
मैने कहा दिल की आग बुझा
वो सरमाई फिर नजरें झुका
मेरे खूब इशारें चलते रहे
और वक्त भी साथ में ढ़लते रहे
शायद उसकी मंजिल आई
पैकिंग कर ली उसने भाई
लेकिन जाने से पहले आई इधर
सब दोस्त देखे मेरे टपर टपर
आकर मेरे हाथ में हाथ लिया 
उस पर अपना नंबर लिख दिया 
मैंने था कहा बस आग बुझा 
नंबर देकर उसे दिया बढ़ा 
मेरे दिल की आग बुझी थी नहीं 
स्टेशन पर वो उतर ग‌ई
सब दोस्त देखकर जलने लगे 
मेरे लक से ईर्ष्या  करने लगे 
नम्बर तो लगाओ सब ने कहा 
और मुझसे भी ना रहा गया 
नंबर को लगाया तो पता चला 
है फायर ब्रिगेड में था नंबर लगा 
दिल की आग बुझाने खातिर ये नंबर मुझको था दिया 
सारे लड़कों को मूर्ख बना कर मुझको भी उल्लू दिया बना

                      -- वास्तव प्रियांशु --

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