वक्त की मार

वक्त की मार होती यहां साथियों,
  जिसने झेला वो देखो सम्भल ही गया,
जिसने आंखों से ओझल किया वक्त को,
मार पड़ने पर शायद वो बिखर भी गया।
हम प्रतिछा ही करते रहे उम्र भर,
वक्त खुद ही मुझसे आगे निकल भी गया।
कोई देखे उठा कर के नजरों को यूं,
वक्त की मार से हमारा सब लूट गया।।
करते रहते हैं कोशिश वक्त से लड़ने की,
वक्त हर हाल में हमसे जीतता गया।।

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